सब काल ईश की प्यारी, जय एकादशी तुम्हारी
सकल तिथिन की तुम हो रानी, वेद पुराण सबै बखानी
ब्रह्म रूप हो तुम निर्वाणी, दायक हो फल चारी
जय एकादशी तुम्हारी
उत्पन्ना, मोक्षदा स्वरूपा, सफला और पुत्रदा रूपा
नाम षडतिला परम अनूपा, जया नाम अघहारी
जय एकादशी तुम्हारी
विजया आमल की कहलाये, पाप मोचनी पाप नसावै
तू प्रमा पद्मा हो जावे, आवागमन विदारी
जय एकादशी तुम्हारी
बरूथनी है तेरो नामा, तथा मोहिनी अपरा श्यामा
सकल कामना कारी
जय एकादशी तुम्हारी
तू ही योगिनी, तू हरि शयनी, तथा पवित्रा पातक वहनी,
व्रत कर नारी सकल फल पावे, अजा नाम अघहारी
जय एकादशी तुम्हारी
परिवर्तिनी इन्दिरा सुखदायी , पापाकुंशा हरिदेव जगाई
सब जग की सुखकारी
जय एकादशी तुम्हारी
अधिक मास मलमास कहावै, तू ही पद्मिनी परम सुहावै
व्रत कर परम लाभ नर पावै, तू ही अति छवि वाली
जय एकादशी तुम्हारी
जगत पति ने तुझे अपनाया, परम पुनीत तुम्हें बतलाया
निज मुख से तेरा गुण गाया, त हरि की प्रिय नारी
जय एकादशी तुम्हारी
जो जन शरण तुम्हारी आवे, जग में मन वांछित फल पावे
जय जय जय जग की तुम माता, शरण माधवाचारी
जय एकादशी तुम्हारी
Comments
Hari Bol........
beautiful poem mata g............
hare krishna, jai ekadashi maiya ki