क्यूँ भेजा मुझे मथुरा मैया
कोई कहे न मुझे कन्हैया.
ये ठाट-बाट भये न मुझको
लौटा दे मेरी लटुकी और गैया.
न यहाँ यमुना,यहाँ मधुवन
न व्रजवालों-सा चितवन.
सब कहे हैं ईश्वर मुझको
कोई सुने न मेरा क्रंदन.
सुबह कलेवा,दिन का भोजन
व्रज का वो मिस्री और माखन.
जब मथुरा सारी करे शयन
तब याद कर भीगे मेरे नयन .
मुरली बजाना भूल ही गया
राग तो सारे व्रज में ही छूटे.
रूठ गयी मुरली मुझसे मैया
तिस पर तुम सब भी हो रूठे.
क्यूं भेजा मुझे मथुरा मैया..........
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hari hari bolllllllllllllllll
hari bolllllllllll
very sweet