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क्या हमारा जीवन साथी










पूर्व निश्चित होता है?


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(Answers by HH Romapada Swami)


Translated:Bhaktin Benu
प्रश्न :- क्या हमारे जीवन साथी का चयन हमारे कर्मों के अनुसार पहले ही कर दिया जाता है? क्या विवाह स्वर्ग में तय कर दिए जाते है? क्या यह निर्णय भगवान के द्वारा पहले ही ले लिया जाता है? या हमारी इच्छा का इस चुनाव में कोई भाग होता है?

अगर हम किसी एक व्यक्ति को पसंद करते है और हम दूसरों को सामान्य दृष्टि से देखते हैं तो हम यह निश्चय कैसे ले सकते हैं कि यह सबसे उत्तम है?क्या मुझे भगवान के अधीन हो जाना चाहिए और यह भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए - क्या ऐसा आत्मसमर्पण कायरता या पलायनवाद है? अगर भगवान ने यह निश्चय लेना होगा तो वह इन परिस्थितियों में कैसे निश्चय लेंगे ? क्या भगवान हमारी पसंद को ध्यान में रखेंगे?

उत्तर:- प्रत्येक कदम पर स्वेच्छा का संबंध प्रारब्ध से होता है| भिन्न प्रकार के विकल्प हमारे जीवन की परिस्थितियों में जैसे विवाह इत्यादि हमारे पूर्व और वर्तमान के कर्मों पर आधारित होते है| और अभी भी उन विकल्पों को बदलने की गुंजाईश बनी हुई है जो कि हमारे वर्तमान कर्मों पर आधारित है|
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के कर्मों को व्यवस्थित करने में श्री कृष्ण अपने आप को शामिल नहीं करते| जैसा कि भगवद गीता में कहा गया है – वो जो भौतिक सुख चाहते है- भगवान उनके हृदय में तटस्थ विराजमान हो जाते है और वहां वह आत्मा के भौतिक सुख और दुःख के साक्षी बने हुए है| साथ ही वह आत्मा को इन सब सुख-दुःख, जो व्यक्ति ने अपनी पसंद से चुने है, की इजाज़त देते हैं| भगवान की स्वीकृति से ही भौतिक प्रकृति उन्हें उनकी इच्छाओं व कर्मों का फल देती है जो उनके योग्य भी हो|
परंतु जो व्यक्ति भगवान को आत्मसमर्पण करके उनके भक्त बन जाते है ,श्री भगवान स्वयं उनका जीवन गुप्त रूप से आयोजित करते हैं और उनके निर्णयों को ऐसी दिशा देते है जिससे वह व्यक्ति भगवान के और भी समीप आ जाए| अतः भगवान अपने भक्तो को विवाह जैसी स्थिति में ऐसे आशीर्वाद देते हैं जो भक्त की आध्यात्मिक गति में हितकर हो|
हमारे जीवन का मार्गदर्शन करने में भगवान का प्रतिदान हमारी प्रवर्ति या हमारी आंतरिक इच्छा पर आधारित होता है| पर यह जरूरी भी नहीं है कि वह हमारी किसी विशेष पसंद पर आधारित हो |
विवाह से संबंधित निर्णय करने के विषय में निश्चित भगवान की आज्ञा में आत्मसमर्पण कर देना ही बेहतर होता है परन्तु आत्मसमर्पण परम निष्क्रियता का आदेश नहीं देता| भगवान के निर्देशन व प्रेरणा के लिए निष्ठा से प्रार्थना करनी चाहिए और साथ ही साथ आप सक्रिय रूप से अपने निजी व्यवहार व जरूरत के अनुकूल सोच-विचार कर सकते है| इसी भावना से आप अनुभवी गृहस्थ, जो आपको भली-भाँति जानते हो, से परामर्श कर सकते हैं| यह गृहस्थ आपका ध्यान बाहरी आकर्षण व प्रतिकूलता से हटा सकते हो, जिससे वह आपका सही निर्णय लेने में मदद कर सके|

Chant,

 

Hare Krishna Hare Krishna

 

Krishna Krishna

 

Hare Hare

 

Hare Rama Hare Rama

 

Rama Rama

 

Hare Hare

 

and be happy.

 

 

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