----- विनती -----

विनती



दग्द तन और संतप्त मन ।
भरी नन्हे ह्रदय में पीर बड़ी ।।
कैसे मिले वे कृष्ण ललन ।
कैसे बूझे अब प्रेम अगन ।।

स्वप्न सा जीवन सह नही पाता ।
मृत्यु का ये कडुवा सच ।।
भागा फिरता इधर उधर ।
निर्उदे्श्य सा ये चंचल मन ।।

ना शक्ति है ना भक्ति है ।
और नही ज़रा भी समर्रपण ।।
दया करो, हे दीनदयाल ।
विनती कर लो स्वीकार सजन ।।

क्या लगता है तुमको, भला ।
क्या कर जाता तुम्हें, प्रसन्न ।।
कैसे जानू, किससे पूछूँ ।
तुम्ही बोलो, करूँ कौन जतन ।।

विनती है निज चरणों में
करके अनुग्रह, करलो आलिंगन
मन में करके स्वीकार मुझे
हरलो दास का विषाद अंनत।।






Chant,

Hare Krishna Hare Krishna

Krishna Krishna

Hare Hare

Hare Rama Hare Rama

Rama Rama

Hare Hare

and be happy.

E-mail me when people leave their comments –

You need to be a member of ISKCON Desire Tree | IDT to add comments!

Join ISKCON Desire Tree | IDT

Comments

  • Hare krishan radhe ji !!!
    It is realy true that this is not we this is lonly lord krishan; who gives mercy on us so that we can devotion to him. Because without the mercy of lord krishan we can not be his pure devotee. we have to prayer before lord krishan so that we be pure devotee to him. And this "stuti" or prayer is very very nice.
    Hare krishan !!
This reply was deleted.