जहाँ भी गए हम इस जहां में
जरूरतों के रिश्ते
नाते है बिकते.
पर उस जहां की जो सुनी
मैंने कहानी जहाँ
रिश्ते जन्मों तक है निभते.
लेने को सब यहाँ मर रहे हैं
सुना है वहाँ देने की
होड़ है होती.
गम की वहाँ चर्चा भी नही
खुशियाँ ही कभी-कभी
पलकें भिगोती.
वहाँ चलता नही कोई
नाचते हैं सब
बोलने में भी गाते हैं.
ये सूर
ये मीरा जो हुए यहाँ
वे उसी जहां से तो आते हैं.
इस जहाँ से कितना
अलग वो जहां
जाने को वहाँ कब तड़पेगा मन मेरा
मेरे इस मलिन मन ने तो
इसी जहां में
बना लिया है अपना रैन बसेरा.
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