जिधर दृष्टि डालें हम इस सृष्टि में

हर दिशा विभिन्न रंगों से है सराबोर.

बादलों की गरज, पंछियों का कलरव

एक मधुर संगीत-सा फैला है हर ओर.

लगती है ये दुनिया जैसे कैनवास

हर कोना करीने से सजाया गया  है.

भांति-भांति के हैं रंग रूप इसमें

सही जगह सबको बिठाया गया है.

जैसे कोई हाथों में ले रंग औ कूंची

बड़े प्यार से जग में रंग भर रहा है.

वही है कलाकार, वही है सूत्रधार

जिसके इशारों पे समय चल रहा है.

बारिश में बरसते बादल रिमझिम

उसने ही बनाया तारों की टिमटिम

आसमान के फलक पे उगता सूरज

उसी ने बनाया है ढलता हुआ दिन.

पौधों की हरियाली, फूलों के रंग

संभाले वो पंछियों की अटखेलियाँ .

पशु भी समझ जाते हैं अपनी भाषा

उसी की बनायी है ये मूक बोलियाँ.

धरती का ताप बढ़ जाता है जब

वही तो मेघों को संदेश पठाता है.

हरदिन ही कोई आता है जग में

तो किसी को अपने पास बुलाता है.

नदियों पहुँच जाती है समंदर तक

वही तो बताता है उनको भी रास्ता.

प्रबंध ऐसा, अँधेरा होते ही आने लगे

देखो चाँद तारे आहिस्ता-आहिस्ता.

इतनी विचित्रता,इतनी सुन्दरता

जिसकी कलाकारी है इतनी मोहक.

वो कलाकार अपना कन्हैया भला

होगा कैसा अनुपम,अद्भूत सम्मोहक.

!! जैसे कोई हाथों में ले रंग औ कूंची, बड़े प्यार से जग में रंग भर रहा है !!

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