जितनी सीमित और संकीर्ण
है हमारी दुनिया
उतना ही विशाल और विस्तृत
प्रभु का संसार है.
हमारी सोच है सीमित,
हमारे विचार है सीमित
सीमित है हमारे अपने
और सीमित है हमारे प्रेम का दायरा
प्रभु सबके सुहृत हैं
सबकी ही उनको फिक्र है.
सारा जग उनका अपना है
उनकी करुणा असीम, अथाह, अपार है.
हम किसी को कुछ देते
तो कभी भूलते नही.
वे सब कुछ देकर भी सबको
कभी भी किसी को याद नही दिलाते.
मौन रहकर मदद करते
ये हवा, ये पानी, ये साधन-संसाधन उनका ही तो है.
हर चलती हमारी साँस
उनका हमारे साथ होना ही तो है.
हमारी संकीर्ण बुद्धि
कृपा आपकी देख नही पा रही.
फिर भी एक क्षण नही ऐसा
जब कृपा न की हो आपने हरि.
एक और कृपा कर दो प्रभु हम पर
हमें आपकी कृपा हर चीज में दिखे.
छूटे कृपणता, कृतघ्नता के संस्कार
हम आपसे निश्छल प्रेम करना सीखे.
Comments
Hare Krishna Mataji!
very nice lines. It is said that, if we love material things Krishna gives us the only those things but if we start loving Krishna we get closer to Krishna's love and material things automatically come by his grace.
Regards,
Krishna's Das