Posted by Krishna priya on November 28, 2014 at 7:43am
पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस गायो॥
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