सुन्दर-सुन्दर कृष्ण कन्हैया
हाथ में वंशी,साथ में गैया
दाऊ पुकारे कह के कान्हा
लल्ला कहती है उनकी मैया
जीवन की धूप में है छैंया
भवसागर की है वो ही नैया
मटकी फोड़ी,माखन भी लूटा
उसपे ये नखरे हाय दैया
मन का मीत,जन्मों का साथी
राधारानी का है वो सैंया
सुन्दर-सुन्दर कृष्ण कन्हैया
हाथ में वंशी,साथ में गैया
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