तेरी मुरलिया तेरी बाँसुरिया
कान्हा तेरी ये मनहर मुस्कान
कैसे संभाले खुद को बावरिया
उसके तो निकल रहे हैं प्राण

तेरी ये मुरली की धुन
बड़ी बेदर्द है वो मनबसिया
करे ठिठोली ये तो हमसे
तेरी तरह ही है ये भी रसिया

कान पड़े तो सुध बुध बिसराई
सुनूँ फ़िर तड़पूं घड़ी - घड़ी
सुनूँ तो हर्ष से , सुनूं तो
विरह में गिरे आँखों से लड़ी

ऐसी मनमोहनी छवी तुम्हारी
जिससे कहाँ कोई बच पाए
देख ली जिसने सांवली सूरतिया
फिर कहाँ कोई सूरत उसको भाए
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