नही है भगवान सरलता से
कभी पुकार कर तो देखो
माँ की व्याकुलता से
ढूंढ़ कर तो देखो शराबी की
तड़प और आकुलता से
विश्वास कर के तो देखो
एक सति की दृढ़ता से
बात जोह कर तो देखो
मिलन की अधीरता से
फ़िर देखो कैसे नही
मिलते हैं भगवान
वो तो बैठे है अंदर ही हमारे
हम तो हैं बस इससे अनजान
Comments
Great! Beautiful poem,it's a fact that we keeping searching The Supreme Lord,but we are unaware that He is situated in everyone's heart.Excellent form of poem,Thank You.