जन्म के बाद मरण है निश्चित
मरण के बाद फिर एक जन्म
फिर होगा एक नया शरीर
जैसे किये होंगे हमने कर्म
जन्म-मृत्यु के अनवरत चक्र में
विलाप का विषय है ही कहाँ
जन्म भी तो मृत्यु किसी -की
मृत्यु भी तो है एक जन्म यहाँ
न ही जन्म पे सुख है कोई
न ही मरण है दुःख की बात
आत्मा के लिए तो दोनों ही
हमेशा की होती काली रात
आत्मा का सबसे बड़ा कष्ट है
किसी भी देह को धारण करना
चौरासी लाख योनियों के
अंतहीन सफ़र में भटकना
जिस दिन इस चक्र से मुक्ति मिल जाती है
आत्मा परमात्मा के चरणों में पहुँच जाती है
आनंद के सागर में नित गोते वो लगाती है
जिस दिन कृष्ण के चरणों में चली जाती है
आत्मा का पडाव है
परमात्मा के चरण
आत्मा का आनंद है
अपने राधारमण
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