आनंद घन है श्याम
आनंद ही यहाँ बरसता है
उनके सानिध्य में आकर
कहाँ कोई यहाँ तरसता है
आनंद की धुन
सुनाये उनकी मुरली
आनंद से भर जाए
एकबार जिसने सुनली
आनंद का ऐसा सागर वो
जिसके हर लहर में आनंद है
इसके पास से भी गुजर जाए
तो भी मिलता परमानन्द है
उनका ध्यान होते ही
आनंद उमड़ आता है
नाम लेते ही ह्रदय में
आनंद भर जाता है
आनंद देने और लेने के सिवा
उन्हें कुछ और आता ही नही
कितना भी आनंद बांटे वो
उनका बूँद भर भी जाता नही
उनको आनंद पहुचाने में भी
आनंद आता है
छूकर आनंद पारसमणि को हरकोई
आनंदित हो जाता है
आनंद का आनंद-प्रदान ही
उनका निज स्वभाव है
समझ लो वहाँ कृष्ण नही
जहाँ आनंद का अभाव है
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Very Nice