Gender
Male
Chennai Tamil Nadu
Birthday: June 14
You need to be a member of ISKCON Desire Tree | IDT to add comments!
Gender
Male
Location
Chennai Tamil Nadu
Birthday:
June 14
Daily number of rounds of Hare Krishna mahamantra.
Minimum 10 rounds every day
When, where and how did you come into contact with the Hare Krishna Movement?
2006
Name the nearest or most frequently Visited ISKCON temple/ centre and name few of the devotees whom you know.
ISKCON, Perambur, Chennai
Please describe yourself so that other like minded devotees can find you.
to peceive,realize and see lord krishna
What are your expectations from this community?
to peceive,realize and see lord krishna
Comments
Wish u and ur family very very Happy Janmastami.....
Plz pray for me.....
Keep in touch....
Hare Krishna....
Radhe Radhe....
http://lh6.ggpht.com/_404ckE8WPeI/SoA4Rhl3SmI/AAAAAAAAAVI/wiBGGCiTE...
बन में बिहारी बैठ,बंसी बजावे
बंसी बजावे लाल बंसी बजावे
पक्षी के पर उड़ नहीं पावे
गिरत परत मोहन डिग आवे
मृग कलोले करना भूले
इकटक लखत पलक न झपावे
मोहिनी मोहन दार गए हैं
सखी हमको नहीं चैन न आवे
वृक्षण की डालन बहु झूमे
बिहारी जू लाली को झूला झुलावे
सुध बुध भूले याद न आवे
नन्द नंदना जब नैन मिलावे
'हरिदासी' टोना करि डारा
बार बार यमुना तट जावे
http://lh3.ggpht.com/_404ckE8WPeI/SoFWdC55gpI/AAAAAAAAAVQ/BPlblD0NR...
मेरे श्याम मुखडा कहे को मोडा
मोहब्बत ने हमको कही का न छोडा
दोनों तरफ से मारे गए हम
कोई भी रास्ता तुमने न छोडा
मेरे गम की कोई बात करो न
मंजिल में आकर के राही को मोडा
मेरे जख्म पे कोई दवा न लगाना
मेरे प्यारे ने चौरस्ते पे छोडा
दुनिया पे हमको भरोसा नहीं हैं
दुनिया के मालिक ने क्या कर के छोडा
मेरे साथ कोई भी बातें करो न
दिल ले गया हैं सांवल सलोना
मेरी इस दशा पे हसना न कोई
मोहन ने समझा हैं हमको खिलौना
'हरिदासी' कुछ भी गिला न करेंगे
पता भी न चला वोह कर गया टोना
बलिहारी जाऊ मेरी छोड़ गगरी
श्याम सांवरे मेरी छोड़ गगरी
इस गगरी में जल भर लाऊ
ठाकुर के मैं चरण धुआऊं
खाने को दू मैं प्यारी रबडी
इस गगरी में ढूध भर लाऊ
प्रेम से श्याम को भोग लगाऊ
मोहे प्यारी लागे तेरी गोकुल नगरी
इस गगरी में माखन भरुंगी
श्याम के आगे जाके धरुँगी
वृन्दावन धाम हैं प्यारी नगरी
'हरिदासी' बृजराज कन्हैया
नाचत निधिवन थैया थैया
चरणों में रहे तेरी प्रेम पगली
बलिहारी जाऊ मेरी छोड़ गगरी
श्याम सांवरे मेरी छोड़ गगरी
इस गगरी में जल भर लाऊ
ठाकुर के मैं चरण धुआऊं
खाने को दू मैं प्यारी रबडी
इस गगरी में ढूध भर लाऊ
प्रेम से श्याम को भोग लगाऊ
मोहे प्यारी लागे तेरी गोकुल नगरी
इस गगरी में माखन भरुंगी
श्याम के आगे जाके धरुँगी
वृन्दावन धाम हैं प्यारी नगरी
'हरिदासी' बृजराज कन्हैया
नाचत निधिवन थैया थैया
चरणों में रहे तेरी प्रेम पगली
देखा जो आईना तेरा रूप झलका
यह दर्शन तो चाहे प्रभु एक पल का
समझ मैं गया हूँ मुझमे हैं मोहन
कारन यही हैं के लिए बैठे दर्पण
मिलो हमको जल्दी पता नहीं कल का
हम में तुम्ही हो तू में हमी हैं
तुम मुझमे हो तो मुझे क्या कमी हैं
अपना ही जलवा सभी में हैं झलका
'हरिदासी' ऐसा लगा हमको अब तो
फूलों में देखा मैंने अपने रब को
कण कण में होता हैं मालिक का खडका
देखा जो आईना तेरा रूप झलका
मेरे श्याम तुम से यही प्राथना हैं
हमे अपने चरणों का धोवन पिला दो
गुनाहों की अग्नि जो हमको लगी हैं
उन्हें नजरो से ही चन्दन बना दो
तुम पे भरोसा हमारा जमा हैं
मेरे लिए दिल को कोमल बना दो
अगर प्यार बिन तुम मिलते नहीं हो
तो मेरे दिल में भी नेह जगा दो
देखो पपीहा पिय को पुकारें
कोई तो मेरा प्रियतम मिला दो
'हरिदासी' करना न लेखा व जोखा
मुझे अपने चरणों का सेवक बना लो
निगाहों में यूँ बात होने लगी
प्यार की ही बरसात होने लगी
मेरे होंठो पे बसा श्याम ही श्याम हैं
कैसे कह दूँ? उन्ही से हमे काम हैं
अब उन्ही से मुलाकात होने लगी
छवि मोहन की नैनो में हैं बस गयी
आँखों में राधारानी हैं सज गयी
हर पल उनसे ही बात होने लगी
'हरिदासी' हैं उल्फत तो वोह पास हैं
प्यार से मिलता मोहन यही राज हैं
दीखता कण कण में, अब बात होने लगी