कृपया मेरा विनम्र प्रणाम स्वीकार करें ! (Please accept my humble obeisances)
श्रील प्रभुपाद की जय हो ! (All Glories to Sril Prabhupada)
अध्याय तेरह – श्रीमद भागवत की महिमा (12.13)
1 सूत गोस्वामी ने कहा: ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र तथा मरुतगण दिव्य स्तुतियों का उच्चारण करके तथा वेदों को उनके अंगों, पद-क्रमों तथा उपनिषदों समेत बाँच कर जिनकी स्तुति करते हैं, सामवेद के गायक जिनका सदैव गायन करते हैं, सिद्ध योगी अपने को समाधि में स्थिर करके और अपने को उनके भीतर लीन करके जिनका दर्शन अपने मन में करते है