रसराज श्रीकृष्ण, प्रभुपाद जी की रचना है जो उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता और भक्तिरसामृत सिन्धु कि शिक्षाओं से रचा है. यह रचना उन सभी के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है जो श्रीकृष्णभावनामृत में पहला कदम रख रहे हैं. जो कोई भी आत्मा-परमात्मा के विषय में जानने का इच्छुक हो उसके लिए यह रचना एक आधार बनती है, जिससे हम श्रीमद्भगवद्गीता और भक्तिरसामृत सिन्धु को और बेहतर तरह से समझ सकते हैं.
जय श्रील प्रभुपाद!!
हरे कृष्णा!!
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Hare Krishna Hare Rama