आज कल हम सबके पास कंप्यूटर , मोबाइल फ़ोन और इन्टरनेट है. हम सब रोज़ घंटो तक इनका उपयोग करते हैं नै नै जानकारी पाने, कथा सुनने, भजन व कीर्तन डाउनलोड करने, दूरस्थ भक्तों से बात करने आदि के लिए | पर क्या इनके बिना भी हम भक्ति में प्रगति कर सकते हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि हम इन सबके ऊपर इतने निर्भर हो गए हैं कि बिना इनके उपयोग किये हमसे भजन भी सही से ना हो पाये ?  कृपया आप सब अपने विचार इस पर रखें ? क्यों ना हम कुछ दिन बिना इन सब उपकरणों का उपयोग किये भजन करने का प्रयास करें ?

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Replies

  • & so U-C
    Yee Should not BzCoy
    & do notFeer
    4 there is no fear N the body of
    Iskcon* ?
  • By th orda & prow'is off the divinDancer's of an Amarican bhakti.& by the orders of nitya&kneetibyi f u-should on purpus & or by chance-chant evenchance the names or about the pastimes & moods of the eternally perfect preserver & Hi's own Nitya'Nun Gee
    U-Should be saved*
    It is in this mood the justus within my pride willl greagreat n my hrart. To b-more than just.?
  • भक्ति के लिए शुद्ध अंत:करण चाहिए ।साधनो की कोई आवश्यकता नहीं है।
    हरे कृष्ण
  • Jaya om raadhaa Maadhaba namaha dandabata,
    Samaya aur paristhiti ke anusar apne samarpan, tan, man, dhan se bhakti, upasana karna upayukta hai. Upakarana ek aashirwad Hai, jiska labh kewal Prabhu Prem jagrat Karne ke liye upayog uchit Hai. Srimad bhagawad Gita ke sparsh se in upakarno ko pujaniya banaya ja Sakta Hai aur sadaiva Inka sadaupayog Kiya Jana chahiye.

    Jaya Guru Jaya bhagawan.
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